GUDDU MUNERI

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जब तक है सांस तब तक है आस

[ जब तक है सांस तब तक है आस ]

अरशद को बिलकुल नहीं पता था कि जिस जगह वह मछली पकड़ने यमुना किनारे जा रहा है वहां किनारे की मिट्टी दल दल बनी हुई है जिसमे अगर कोई फंस गया तो उसका निकलना मुश्किल हो जाता है और जान जाने का खतरा भी बना रहता है इसीलिए वहां जाने पर विभागीय कर्मचारियों ने एक सूचना पट भी लगाया हुआ था जिस पर लिखा था, " लाल और हरे रंग की पाइपलाइन से आगे जाना खतरनाक है इससे आगे न जाए " फिर भी लोग वहां जाते और कोई पक्की सी जगह या फिर कम दल दली जगह खड़े होकर मछलियां पकड़ लेते थे । रोहित भी वहां सोनू के साथ मछली पकड़ने गया हुआ था क्योंकि काटा और मछली का तार उसके ही पास और एक इरशाद के पास ही होता था ।

रोहित, सुनील, मोनू, इरशाद और अरशद पांचों दोस्त घुमक्कड़ी के लिए मशहूर थे जब भी कहीं जाते, किसी न किसी को साथ लेकर जाते ।

रोहित ने सभी को कॉल किया कि तुम भी आ जाओ बहुत मजा आएगा आज तो मछलियां बहुत है

पांचों लोग भजनपुरा रेड लाइट पर आकर जमा हो गए वही से यमुना किनारे जाना आसान पड़ता है । दस दस रुपए में ऑटो किया और चल दिए यमुना किनारे

अरशद ने रोहित को कॉल किया - " तू बाहर मिल, हम आने वाले है ! तुम कोन से किनारे के पास हो ?

" ठीक है मैं बाहर आता हूं " रोहित ने कहा । तभी रोहित लाल पाइप लाइन के नीचे से निकलता हुआ बाहर रोड की तरह आ गया। कॉल पर ही बात करते हुए - " देख रास्ते में जो दो पेड़ एक साथ पड़ेंगे, वहीं रुक जाना " " ठीक है " " ठीक है " अरशद ने कहा ।

अरशद को चलते ऑटो में से कुछ देर बाद दो बड़े पेड़ दिखाई दिए उसके बाद वह पेड़ के पास रोहित खड़ा हुआ दिखाई दे गया । रोको ! रोको ! भाई साहब बस यही रोक दो ! अरशद ने अचानक ऑटो वाले से कहा ।

ऑटो वाले ने ऑटो साइड लगाया और बोला - " लो भाई उतरो"

इधर जैसे ही ऑटो रुका रोहित ने देखा कि सभी दोस्तो ऑटो से उतर रहे है वह उनके पास आया

" और क्या हाल है ", " भाईयो आओ " रोहित ने कहा ।

" और काटा भी ले आया इरशाद" , "सही है " " चलो सोनू के पास चलते है "

सभी दोस्त रोहित के साथ उस लाल रंग की पाइप लाइन के नीचे से होते हुए सोनू तक पहुंच गए ।

" और सोनू भाई कितनी मछली पकड़ ली " अरशद ने कहा ।

" भाई अभी तो चार ही पकड़ में आई है " ,"अभी और पकड़ेंगे " सोनू ने कहा ।

इरशाद भीं अपना काटा तैयार करने लग गया और मोनू खड़ा हुआ सब देख रहा था । काटा तैयार होते ही रोहित ने इरशाद को देख कर बोला " देख उधर लंबा हाथ करके, वहा डाल काटा " रोहित ने कहा (पानी में मछलियों की ओर इशारा करते हुए )

अरशद ने कहा - "लाओ मैं पहले काटा डालता हूं फिर बारी बारी से एक एक करके तुम काटा डालना और मछली पकड़ना " " अच्छा ठीक है " इरशाद ने कहा ।

अब अरशद मछली पकड़ने के लिए काटा फेंक ही रहा था कि उसका एक पैर जमीन में धंस गया ।

ओए बचा ! आवाज निकली ( अरशद अचानक से डरते हुए ) " अबे ध्यान से पैर, रख जायदा आगे मत जा ", इरशाद ने कहा ।

इरशाद बोला : ला दिखा मैं डालू " अरशद बोला : रुक जा मैं फेंकता हूं काटा लंबा करके"

पीछे से मोनू बोला : नीचे देख ले, ज्यादा आगे से मत डाल,
मट्टी पतली पतली हो रही है , कभी फिर से घुसे नीचे , अभी तो नीचे एक पैर गया, आपकी पूरा ही जाए । अरशद ने काटा डाल दिया और मछली अटकने का इंतजार करने लगा । मोनू , सुनील और इरशाद तीनों अरशद केपीछे खड़े होकर देख रहे थे और रोहित सोनू के पास चला गया वो एक साथ मछली पकड़ने में व्यस्त दिखे । तभी सोनू के काटे मन मछली अटक गई

आ गई ,आ गई , आ गई , आ गई मछली आ गई सब दोस्त उसकी ओर देखने लगे

तभी अरशद के कांटे में भी एक मछली फंस गई और वह शायद कोई बड़ी मछली थी जिसे खींचने के लिए काफी जोर लगाना पड़ रहा था

अरशद बोला : " फंस गई, फंस गई , फंस गई " (थोड़ा हंसते हुए )

" मोनू खिंचवा लगता है कोई बड़ी मछली है " अरशद ने कहा

मोनू ने अरशद के साथ पीछे से मछली पकड़ने का तार पकड़कर खींचना चाहा लेकिन खींच न पाए बल्कि जोर लगाने के चक्कर में दोनो के पैरो के नीचे की दल दली सी जमीन खिसक गई और दल दल में फंस गए

सुनील : अबे क्या कर रहे हो दोनो अभी हमे भी गिरवाते इरशाद : और पकड़ो मछली , मछली का तार हमे दो

" लो भाई तुम खींचों " अरशद मछली का तार इरशाद को पकड़ाते हुए बोला । उधर से सोनू और रोहित ये देखकर हंसने लगे हा हा हा हा हा जा हा हा हा हा

लेकिन कुछ ही मिनट बाद हंसी रुकने लग गई यह देखकर कि सुनील और इरशाद भी दोनो अचानक से डर से गए यह देखकर कि मछली तो हमने पकड़ी वह काफी बड़ी और भारी है लेकिन इसको खींचने के लिए हमे दो लोग और चाहिए

" ओए सोनू ! और रोहित ! अबे यहां आओ जल्दी खिंचवाओ इस मछली को " इरशाद ने कहा । इरशाद ने फिर चिल्लाकर कहा : " जल्दी आओ कहीं तार न टूट जाए मछली का "

यह देखकर तो वह दोनो भी दंग थे वह भी दो चार कदम दौड़कर जल्दी आ गए और तार पकड़ कर मछली को खींचने में मदद करने लगे लेकिन मछली है कि बहुत फड़फड़ा रही थी

वही नीचे की साइड में आधे पैर दल दल में फंसे अरशद और मोनू दोनो भी मछली को खिंचवाने में मदद करने लगे मछली अब खींचकर मोनू और अरशद के करीब ही थी । तार से खींचते खींचते मछली दल दल से घीसट घीसट कर करीब आ ही गई लेकिन उसके घसीट से जो नाली नुमा पानी साथ साथ पीछे पीछे चला आ रहा था शायद उसने कुछ जगह बना ली थी । क्योंकि मोनू और अरशद जब मछली करीब आ गई तो उसे सुखी दल दली मिट्टी की और धकेलने में परेशानी महसूस हुई पैर एक दम चिकने हो गए पहला उठाते तो रपटा जा रहा था दूसरा उठाते तो पहला रपटा जा रहा था । इस वजह से दोनो के पैर दल दल में बुरी फंसते चले गए और फिर पर हिलाने की हिम्मत भी न बची जितना जोर लगाते या हिलते डुलते उतना और नीचे धंसते लेकिन उनका क्या पता था बड़ी मछली के पकड़ने की खुशी उन्हे इस मोड़ पर ले आएगी । तभी मोनू अचानक से तिरछा होने लगता है और कहता है :
" बचाओ " , " अरशद पकड़ " अरशद भी हिम्मत बांधकर उसका हाथ थाम लेता है मिनुनब्ब दल में सीने तक फंस चुका था । उसका निकलना बहुत जरूरी था नही तो उसकी जान पर बन आ रही थी शरीर दल दल में पेट से ऊपर तक धंस चुका था ।

अबे रोहित , सुनील, इरशाद, सोनू भाई जलदी खींचों इस मछली को हमे बचाओ अब मुश्किल है हमारे पैर नीचे धंसते जा रहे है ( अरशद ने जोर देकर कहा )

" भाई जल्दी खींचो मोनू फिसल रहा हैं मेरे हाथ से " अरशद ने फिर जोर देकर कहा ।

रोहित बोला : भाई खींच रहे हैं तुम हार मत मानो तुम मोनू का हाथ पकड़े रखो

मछली है की जितना फड़ फड़ा रही थी उतना ही गहरा गड्ढा सा बनाए जा रही थीं और पानी आए जा रहा था जिससे की मोनू और अरशद से दूरी बढ़ती जा रहीं थी

" भाई निकालो हमे " अरशद ने कहा भाई पेट तक आ गया दल दल और मोनू को मैं ज्यादा देर तक नही पकड़ सकता

" निकालो भाई निकालो " मोनू ने कहा !

इधर इरशाद, सुनील और सोनू की सुट्टी पुट्टी गुल हो रही थी क्या करे लेकिन अचानक मोनू बचाओ बचाओ करने लगा सभी के सुनकर हाथ पैर फूल गए । तीनो ने मछली का काटें वाला तार हाथ से छोड़ दिया और यह सोचने लगे अब क्या होगा ?

दल दल का पानी मोनू की गर्दन तक आ चला था और अरशद के आना अभी थोड़ा बाकी था क्योंकि मोनू अरशद से एक आदमी की दूरी पर अरशद के हाथ का सहारा लिए तिरछा हुआ पड़ा था वह हिल डुल नही पा रहा था अगर और हिलता तो अब तक तो डूब ही जाता ।

लेकिन अरशद ने मोनू का हाथ उस दल दल में भी पकड़े रखा बोला - " मरेंगे तो साथ ही वरना ऐसे दोस्त किस काम के "

इतने में रोहित ने सुनील और सोनू को बोला - " रस्सी ढूंढो जल्दी "," मछली वछली छोड़ो " लेकिन वहा कोई रस्सी भी न दिखाई दे रही थी

" तुम ध्यान रखो मैं बाहर से इंतजाम करके लाता हूं " रोहित ने कहा ।

रोहित फिर भागा भागा बाहर रोड की तरफ गया एक ऑटो वाला दिखाई दिया " भाई साहब रस्सी है क्या " ," दो लड़के दल दल में फंस गए है " ,"उन्हे बचाना है नही तो मर जाएंगे "

" नही भाई रस्सी तो नही है " ऑटो वाले ने कहा।

ऑटो वाला रुक तो गया लेकिन रस्सी न थी वह ऑटो साइड में लगाकर अंदर देखने चला गया क्या मामला है

रोहित की गिड़गिड़ाहट बता रही थी मामला गंभीर है कई ऑटो वाले , मोटर साइकल वाले आदि लोगों से पूछा किसी पर रस्सी न मिली और लोगो के देखने की भीड़ जमती गई । चारो तरफ बचाओ, बचाओ बचाओ, का शोर था अब तो अरशद की गर्दन तक भी दल दल का पानी आ चुका था और मोनू की गर्दन दल दल के पानी में आ चुकी थी भाई साहब भाई साहब बचाओ के अलावा उनके मुंह से कुछ नही निकल रहा था मोनू ने आंखों से आंसू छोड़ दिए थे बचना न मुमकिन लग रहा था कोई कह रहा था यहां आए ही क्यों थे कोई कह रहा था सब्र रखो कोई कह रहा था भाई हिम्मत मत हारो कोई न कोई आ जायेगा । ऊपर वाले ने जैसे सुन ली हो

अचानक से वही दूसरी ओर जहां रोहित रोड पर रस्सी ढूंढने और मदद मांगने निकला था एक बिजली विभाग का कर्मचारी अपने कंधे पर सीढ़ी और रस्सी डाले चला आ रहा था रोहित ने झट से उसे पकड़ लिया वह डर गया क्या बात है ? ( डरते हुए बिचली कर्मचारी बोला )

" कुछ नही भाई साहब, " दो लड़के दल दल में वहां फंस गए है , " उन्हे बचाना बहुत जरूरी है नही तो मारे जायेंगे " रोहित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा और रस्सी लेकर भाग लिया " बस अभी आया " भागते भागते के कहता गया रोहित

" अबे रुक तो " बिजली कर्मचारी लेकिन वह नहीं रुका तो वह भी पीछे पीछे चल दिया शोर की आवाज ने बिजली कर्मचारी की भी नींद उड़ा दी थी धड़कन तेज कर दी थी जरूर कोई मामला है ।

जल्दी से रोहित वहां पहुंचा और रस्सी अरशद और मोनू के करीब फेंक कर डाली लेकिन रस्सी केवल दोनो में से कोई एक पकड़ सकता था क्योंकि अरशद थोड़ा करीब था उसका एक हाथ ऊपर निकाला हुआ था । मोनू , अरशद के पीछे तिरछा था उसका भी एक हाथ बाहर और दूसरा हाथ अरशद के हाथ में दल दल में फंसा हुआ था ।

मामला पेचीदा हो गया तो " अरशद पकड़ " रोहित ने बोला " अरशद पकड़ " सुनील ने बोला " अरशद तुम पकड़ो पहले " सोनू ने भी यही बोला

" भाई पकड़ो यार, सोची मत " एक ऑटो वाले ने कहा । लेकिन अरशद ने एक हाथ से रस्सी तो पकड़ ली लेकिन अरशद खींच नही पा रहा था और अगर वह दूसरा हाथ बाहर निकलता तो फिर कभी मोनू का हाथ नही पकड़ पाता । उसे डर था मोनू को कुछ हो गया तो ,

अरशद ने रस्सी को थोड़ा और ढीला करने को कहा : " रस्सी ढीली करो " रोहित ने रस्सी को ढीला छोड़ा और कहा -"लो खींचो"

अरशद ने एक हाथ से रस्सी मोनू की ओर धकेल दी और कहा - मोनू पकड़ ,पकड़ , अब मोनू और अरशद ने रस्सी पकड़ ली थी उम्मीद थी कि बच जायेंगे लेकिन जैसे ही खींचने की बारी आती रस्सी उन दोनो के हाथो से छूट जाती ।

एक व्यक्ति तो डंडा तक ले आया उसने डंडा आगे बढ़ाया लेकिन डंडे को दोनो हाथ से पकड़ा जा सकता था एक हाथ से नहीं लेकिन उससे एक अच्छा हो गया ।

"भाई साहब डंडा दिखाना " रोहित ने कहा । रोहित ने डंडा लिया और मोनू की गर्दन के पास।लगा दिया ।

" मोनू अपनी गर्दन इसी पर अटका ले जब तक हम अरशद को निकालते है " रोहित ने कहा ।

मोनू ने ऐसा ही किया अपने एक हाथ से डंडा। पकड़ा और गर्दन उस पर टिका ली और डंडे को इरशाद और सुनील ने दोनो साइड से पकड़ लिया । लेकिन वह भी जायदा देर तक नही पकड़ सकते थे क्योंकि जगह कच्ची थी और वह भी फिसलन वाली

रोहित ने फिर से रस्सी डाली और बोला कि - " अरशद मोनू का हाथ छोड़ और दोनो हाथ से रस्सी पकड़ "

" नही मैं नहीं पकड़ सकता यार समझा कर "

ऊंची से जगह में पीछे सीढ़ी लिए खड़ा बिजली कर्मचारी देख रहा था उस पर इरशाद की नजर पड़ गई ।

" भाई सीढ़ी ले लो इससे काम बन जाएगा " इरशाद ने कहा " जल्दी लाओ "

रोहित ने फटाक से सीढ़ी तो के ली लेकिन बात वही है किसी एक को बाहर निकालना होगा दोनो एक साथ नहीं आ सकते

" और ये अरशद मान नही रहा " रोहित ने कहा ।

रोहित के हाथ में सीढ़ी देख अरशद को तुरंत एक उपाय सूझ गया । " भाई एक काम करो " , " इधर लाओ सीढ़ी" , " इधर, इधर , जिधर ये डंडा है " , " जैसे ये डंडा है वैसे ही इस सीढ़ी को लगा दोगे ", " तो फिर आप हमे खींचना ", हम दोनो कसके इसको पकड़ लेंगे ", इसमें दोनो साइड डंडे भी है इसमें और दोनो हाथ से एक दम पकड़ भी लेंगे जैसे ही हम पकड़े हमे खींच लेना " अरशद ने कहा।

रोहित ने ठीक वैसे ही किया इरशाद और सुनील के साथ मिलकर सीढ़ी को मोनू और अरशद के बीच में डाल दी गई और दोनो ने पहले एक एक हाथ से सीढ़ी पकड़ी ।

" मोनू जैसे ही मैं हाथ छोडूं तू वैसे ही हाथ निकाल कर इस सीढ़ी को पकड़ियो और ध्यान रख गर्दन इस सीढ़ी के डंडे पर कर ले नीचे मत जाने दियो वरना सारा गंदा पानी तेरे नाक मुंह में भर जायेगा " मोनू से अरशद ने कहा ।

" पहले ये डंडा निकालो " "आराम से " सोनू ने कहा सोनू ने डंडा निकलवाया और फिर मोनू ने अपनी गर्दन सीढ़ी के डंडे पर रख ली और एक हाथ से सीढ़ी पकड़ ली

ठीक वैसे ही अरशद ने किया अरशद बोला - " मैं जल्दी से हाथ छोड़कर सीढ़ी पकडूंगा 1 ,2, 3 " मोनू पकड़ " मोनू ने जल्दी से हाथ निकालकर सीढ़ी पकड़ ली ।

अब कुछ उम्मीद बनती दिख रही थी कि बच जायेंगे ।

" खींचो-खींचो- खींचो " अरशद ने जोर से बोला

लेकिन सीढ़ी को दो लोगों से खींचना मुश्किल हो रहा था तब सुनील ने आवाज लगाई -

जो कोई दिखता " भाई हाथ लगवाना " " भाई हाथ लगवाना " , "खिचवाओ जरा " तब कुछ लोग और आगे आए उन्होंने दोनो को दल दल से बाहर निकलवाने में मदद की ।

और आखिर कार दोनो को बाहर निकाल लिया गया । जान बची तो लाखों पाए

बड़ी मछली तड़पकर मरी हुई एक तरफ पड़ी रही

" भाई अरबाज तुम ना होते तो मेरा क्या होता तुमने मेरा हाथ पकड़े रखा " मोनू ने अरशद से कहा ।

उसके बाद बिजली विभाग कर्मचारी भीं आ गया और बोला -

" आज के बाद बेटा यहां मत आना, मछली पकड़ने यहां पर अक्सर मिट्टी धंस जाती है , वो देखो वहां सूचना पट्ट पर क्या लिखा है ? लेकिन तुम्हे बस मछली पकड़ने है , और पकड़ लो " ,

और तू , तेरा क्या नाम है ? ( मोनू की ओर इशारा करते हुए ) बिजली कर्मचारी ने पूछा ।

" मोनू " मोनू ने कहा ।

बिजली कर्मचारी ने फि से कहा - " मर जाता बिलकुल, वो तो इसने (अरशद ) ने तुझे पकड़े रखा वरना बेटा ! आज तेरा काम हो जाता "

" जाओ वो आगे वाली गली के पास एक नल लगा है, नहा लो दोनो , ये छोटी मोटी खरोंच है इस पर बैंड डैड लग जायेगी "

" और भाई तुम मेरी सीढ़ी और रस्सी धुलवा देना ? " ( रोहित की ओर इशारा से कहता हुआ बिजली कर्मचारी )

" अब नही जा रहा लाइन ठीक करने अब दूसरी रस्सी और सीढ़ी लाऊंगा ऑफिस से गीली जो हो गई है तब जाऊंगा " बिजली कर्मचारी ने कहा

" आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद भाई साहब आप भी अगर इधर से न आते तो शायद ये दोनो तो मर ही जाते " रोहित ने कहा ।

" लाओ मैं धुलवाता हूं तुम्हारी रस्सी और सीढ़ी " सुनील ! सीढ़ी उठा कर ले चल नल तक इरशाद तू रस्सी ले ले " रोहित ने नल की की और इशारा देते हुए कहा ।

एक बात माननी पड़ेगी " जब तक है सांस तब तक है आस " " अरशद ने भी छोड़ा नही मोनू को " इरशाद ने कहा । " वरना सबसे पहले इसी का काम तमाम होता " इरशाद बोला ।

चलते चलते अब नल भी आ गया था दोनो ने अपने बदन बदन को साफ किया और रोहित ने सुनील ने और इरशाद ने मिलकर बिजली कर्मचारी की सीढ़ी और रस्सी धुलवाई और फिर चल दिए सब अपने अपने घर ।

 - गुड्डू मुनीरी ( सिकंदराबादी ) 
 - दिनांक : १७/०१/२०२४

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8 Comments

Milind salve

21-Jan-2024 07:37 PM

Very nice

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Rupesh Kumar

21-Jan-2024 04:55 PM

Nice one

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Madhumita

21-Jan-2024 04:39 PM

Very nice

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